जब यूरोपीय देश पृथ्वी गोल है या नहीं इस बातपर झगडा कर रहे थे उसके पहले भारत के विद्वानों ने पृथ्वी का व्यास निकाल लिया था। भारतवर्ष का इतिहास है कि ये भूमि विद्वानों को जन्म देती है, जिनके मानवता के लिए किये गए कार्य को देखकर पूरी दुनिया दंग रह जाती है। वर्तमान में भी भारतवर्ष में कुछ ऐसे वैज्ञानिक हैं जिनके संशोधन का लाभ सिर्फ देश को नहीं अपितु विदेश के लोगों को भी हुआ है। उन विद्वान वैज्ञानिक लोगों की सूची बनाई तो एक नाम लिए बगैर वो सूची पूरी नहीं हो सकती और वो हैं – ‘उद्धब कुमार भराली‘…!
असम के लखीमपुर नामक गाँव में 7 अप्रैल 1962 कों उद्धब कुमार भराली का जन्म हुआ। आज तक कम से कम 150 आविष्कारों की खोज उद्धब जी ने की है। उनके कई सारे आविष्कारों का इस्तेमाल विदेश के लोग भी कर रहे हैं।
उद्धब घर की गरीबी के कारण अपनी इंजीनियरिंग की शिक्षा पूरी नहीं कर सके। वैज्ञानिक चीजों में रूचि होने के कारण वो घर में छोटे मोटे उपकरण बनाने की कोशिश करते थे। उस वक्त असम में ज्यादा उद्योजक न होने के कारण सिर्फ चाय उत्पादन और बिक्री का व्यवसाय अधिक लोग करते थे। 1988 में उद्धब जी को जानकारी मिली की एक कंपनी को पॉलिथीन बनाने के यंत्र की जरुरत है। रुपयों की जरुरत होने के कारण उन्होने उस यंत्र को बनाने का फैसला किया। कुछ ही दिनों में जिस यंत्र की कीमत 6 लाख रुपये थी उस को उन्होनें मात्र 67000 रुपयों में बना दिया। उध्दब जी के इस आविष्कार को देख के सब हक्का बक्का रह गये। इसके बाद उध्दब जी ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा।
1990 से लेकर 2000 तक उद्धब भराली जी ने 24 उपकरणों की खोज की जो सभी उपकरण खेती से जुडे़ हुए थे। उद्धब भराली जी के उपकरणों से कई किसानों को खेती का कार्य करने में आसानी हुई। उध्दब भराली इस बारे मे कहते हैं कि , “देश की ज्यादा से ज्यादा कंपनी बड़े उत्पादक आदि वर्ग का ख्याल कर के अपने उपकरण बनाती हैं। पर किसानों का काम आसान हो इस बात को ध्यान में रखकर मैं किसानों के लिए उपकरण बनानें में लग गया।“
2006 में उद्धब भराली जी ने अनार का बीज निकालने वाले यंत्र की खोज की। इस यंत्र के कारण उद्धब भराली विश्व में मशहूर हो गये। चीन, अमेरिका जैसे विकसित देशों से उन्हें ऑफर भी मिली जो अपने देश की नागरिकता उन्हें देने के लिए तैयार थे। पर उद्धब भराली देश में रह कर ग्रामीण युवा वर्ग को खेती के उपकरण बनाने के लिए सिखाने में लग गये। आगे जाकर उद्धब जी ने सुपारी और अद्रक के छिलके निकालने वाला यंत्र और चाय के पत्तों को निकालने वाले यंत्र की खोज की।
आज वर्तमान में उन्होंने लगभग 150 से भी ज्यादा आविष्कारों की खोज की है जिससे कई लोगों का काम आसान हो गया है। वैज्ञानिक उध्दब भराली जी का कार्य देखकर भारत सरकार ने उन्हें 2019 में पद्म श्री पुरस्कार सें सम्मानित किया है। ‘क्रियेट द फ्यूचर डिज़ाइन’ नामक नासा आयोजित प्रतियोगिता में उन्हें द्वितीय स्थान मिला है। सामान्य परिवार से होकर भी समाज के लिए उन्होने जो काम किये हैं वो आज सभी लोगों के लिए आदर्श हैं।