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Auction बिजनेस भारतीय इतिहास का एक खास हिस्सा रहा है, जिसकी शुरुआत 19वीं सदी में हुई थी। खासतौर पर कोलकत्ता में आपको कई पुराने ऑक्शन हाउस मिल जाएंगे जो आज भी कई ऐतिहासिक ऑक्शन की यादों की ताजा करते हैं। हालांकि वक्त के साथ ज्यादातर ऑक्शन हाउस बंद हो चुके हैं, लेकिन एक ऑक्शन हाउस ऐसा है जो आज भी चल रहा है।
भारत के सबसे पुराने ऑक्शन हाउस में से एक Russell Exchange House आज के आधुनिक युग में भी चल रहा है। इस परम्परा को जिन्दा रखने का श्रेय ऑक्शन हाउस के मालिक अनवर सलीम और अरशद सलीम को जाता है।
1940 से चल रहा है Russell Exchange House
अनवर सलीम और अरशद सलीम के परिवार ने 1940 में इस Russell Exchange House को खरीदा था। उस समय ऑक्शन हाउस का बिजनेस काफी फायदेमंद होता था क्योंकि उस समय महंगे और कीमती सामनों को डायरेक्ट ऑनलाइन ना बेचकर उनकी बोली लगाई जाती थी। ये किसी फेस्टिवल की तरह होता था। दूर-दूर से बिजनेसमैन और रॉयल फैमिलीज बोली लगाने के लिए आती थी।
अनवर और अरशद इस ऑक्शन हाउस को अपनी बहन Sarfaraz Begum Shamsi के साथ मिलकर चलाते है, जो भारत की एकलौती महिला ऑक्शनर है। हाउस में ऑक्शन गुरुवार और रविवार को रखे जाते हैं, हालांकि अब ऑक्शन में पहले जैसी रौनक नहीं देखने को मिलती है।
सप्ताह में दो बार होता है Auction
ऑक्शन हाउस खरीदने के बाद जब पहली बार अनवर-अरशद की फैमिली को फायदा हुआ था वो दौर 1970 का था। उस समय ऑक्शन हाउस को अनवर-अरशद के पिता Abdul Samad और दादा Abdul Majed मिलकर चलाते थे। अरशद के अनुसार उस समय भी कोलकत्ता में रहने वाले यूरोपीयन, ब्रिटिश और जमीदारों द्वारा नीलामी की जाती थी।
कोलकत्ता के ऑक्शन हाउस Mackenzie Lyall & Co को भी उसी दौरान बंद किया गया था, इसके अलावा ऑक्शन हाउस Chowringhee Sales Bureau Pvt. Ltd, Stainer & Co., Dalhousie Exchange और Albert & Co. को 1985-2005 के दौरान बंद कर दिया गया।
इन सबके बीच Russell Exchange अपने आपको खड़ा रखने में कामयाब रहा। Russell Exchange के अलावा ऑक्शन हाउस Mohan Exchange और Suman Exchange भी बंद होने से बच गए, लेकिन Russell Exchange ही है, जो सप्ताहिक ऑक्शन करता है। गार्मेंट्स की ऑक्शन गुरुवार को होती हैं जबकि जनरल ऑक्शन रविवार की सुबह रखी जाती हैं।
पुराने कोलकत्ता की याद दिलाता है Russell Exchange
कई सालों तक अरशद ने ऑक्शन हाउस का बिजनेस अपनी बहन के साथ मिलकर संभाला क्योंकि अनवर सलीम विदेश चले गए थे। उस दौर में विदेश जाना बहुत बड़ी बात होती थी। यूके में कई सालों तक मीडिया प्रोफेशनल और बैंकर के तौर पर काम करने के बाद अनवर 2009 में भारत लौट आए और अपने पिता के ऑक्शन हाउस को उठाने का फैसला किया।
अनवर के लिए ये काम बहुत मुश्किल था क्योंकि अब पहले की तरह ना तो ऑक्शन हाउस में बड़ी बड़ी चीजों की नीलामी होती थी और ना ही लोग अब नीलामियों में उतनी दिलचस्पी लेते थे। हालांकि अनवर का मानना है कि उनका ऑक्शन हाउस आजतक सिर्फ इसलिए सर्वाइव कर पाया है क्योंकि वो अपने पर्सनल फायदे को साइड रखकर खरीदने वाले और बेचने वाले दोनों को ही फेयर डील देते हैं। इस वजह से नुकसान भी होता है लेकिन हाउस चलता रहता है।
Russell Exchange में आज भी आपको पुराने जमाने का फर्नीचर, स्टैच्यू, गिलास, पेटिंग्स आदि सामान मिल जाएगा। जो आपके सामने कोलकत्ता की ट्रेडिशनल हिस्ट्री को खोलकर रख देगें। हर रविवार की सुबह हेयर क्लिप से लेकर चप्पल तक की नीलामी आप यहां देख सकते हैं। हालांकि ऐसा नहीं है कि अब बड़ी नीलामी नहीं होती है, अभी भी Russell Exchange में कोलकत्ता की कई पुरानी प्रॉपटी को बेचा जाता है जिनकी जगह मॉल और शोरुम बनने लगे हैं।
जब Ganesh Pyne की वाइफ ने अपनी साड़ियां की नीलाम
अरशद के अनुसार ऑक्शन का मतलब एक ही चीज का हर किसी के लिए अलग महत्व होना है जिसमें शहर के रंग मिले होते हैं। इसी ऑक्शन हाउस में फेमस आर्टिस्ट Ganesh Pyne की पत्नी ने अपनी एक बार पहनी हुई साड़ियों को नीलाम किया था। ऐसी कई यादगार ऑक्शन स्टोरी है इस हाउस से जुड़ी जो इसे एक ऐतिहासिक प्लेस बनाती है जहां सिर्फ ऑक्शन नहीं इतिहास भी बनता है।
अरशद के अनुसार एक बार एक बंगाली आदमी अपनी किताबें यहां बेचने आया था। उसे उसकी 45 किताबों के लिए महज 60 रुपये मिले थे लेकिन उसके पास लिथोग्राफ की एक किताब थी जो बहुत मुश्किल से मिलती है। उस किताब के लिए उस आदमी को 18 हजार रुपये मिले थे।
Russell Exchange House के बारे में जानने के लिए कॉल करें – 03322298974.
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