सिग्रेटे पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। सिग्रेटे पीने वाले लोग अपने स्वास्थ्य के साथ तो खिलवाड़ करते ही हैं, साथ ही सिग्रेटे का कचरा यहां-वहां फैलाकर पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाते हैं।
शायद वह नहीं जानते कि सिग्रेटे पी कर फेंक दिए जाने वाला उसका सिरा या बट अपने आप नष्ट नहीं होता अर्थात वह नॉन बायोडिग्रेडेबल है। उसे नष्ट होने में 10 साल का लंबा समय लगता है। तब तक वह पर्यावरण में रहकर समस्त प्राणी जगत के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करता है।
नमन गुप्ता और विपुल गुप्ता द्वारा नोएडा में एक ऐसा स्टार्टअप चलाया जा रहा है जो सिग्रेट वेस्ट को प्रोसेस करके उपयोगी उत्पादों में बदल रहा है। इसके लिए सबसे सुरक्षित पर्यावरणीय प्रक्रियाओं का प्रयोग किया जाता है। भारत में सिग्रेट वेस्ट के प्रबंधन के लिए कार्य करने वाला यह एकमात्र स्टार्टअप है इसलिए उनका किसी और से कोई कम्पीटीशन नहीं है।
सिग्रेटे वेस्ट पर रिसर्च
नमन गुप्ता ने अपने मित्र के साथ सिग्रेट वेस्ट पर कुछ महीनों तक रिसर्च करने के बाद जाना कि सिग्रेट बट सेल्यूलोस एसीटेट से बने होते हैं, जो प्लास्टिक के समान होता है। सन 2016 में उन दोनों ने मिलकर सिग्रेट वेस्ट को रीसायकल करने का ऑपरेशन शुरू किया। सिग्रेट बेचने वालों के पास V Bin लगाए गए और 1 किलो सिग्रेट वेस्ट उनसे खरीदने पर उन्हें ₹700 देने का आश्वासन दिया गया।
इस सिग्रेट के कचरे को कुछ दिनों तक, बिना मशीनरी के ही, बायोडिग्रेडेबल केमिकल्स द्वारा प्रोसेस किया जाता है। फिर उसके बाद सॉफ्ट टॉयज, सॉफ्ट पिलौज़, कुशन और बीन बैग का कुछ सामान बनाया जाता है। फिर इन उत्पादों को ऑनलाइन सेल किया जाता है।
नमन गुप्ता कहते हैं कि
“हम जो करते हैं वह पर्यावरण के लिए अच्छा है और साथ ही हम कचरे का मूल्य भी चुकाते हैं।”
रास्ते में आने वाली कठिनाइयां
Code Effort Pvt. Ltd. की पहली समस्या तो सिग्रेटे के कचरे को नियमित रूप से प्राप्त करने की थी। इसके लिए अनुबंध करने का रास्ता अपनाया गया। स्टार्टअप अब एक विशिष्ट अनुबंध द्वारा कम से कम 30 किलोग्राम सिग्रेट वेस्ट प्राप्त करता है। अब Code Effort Pvt. Ltd. के पास पूरे देश में कम से कम 20 से 25 ऐसे अनुबंध हैं जो उनके लिए सिग्रेट वेस्ट की आपूर्ति करते हैं।
तंबाकू कंपनियां और मार्लबोरो जैसी सिग्रेट बनाने वाली कंपनियां भी अपने रिजेक्टेड उत्पादों को उनके पास अनुबंध के आधार पर भेजती हैं। नमन गुप्ता बताते हैं कि कर्नाटक और महाराष्ट्र सिग्रेट के कचरे के सबसे बड़े सप्लायर हैं क्योंकि वहां लोग पर्यावरण के प्रति अधिक जागरूक हैं।
सिग्रेट कचरे को इकट्ठा करना एक चुनौती भरा कार्य है जिसे इस स्टार्टअप की टीम अच्छी प्रकार से मैनेज कर रही है। इस तरह यह स्टार्टअप पर्यावरण को अच्छा करने के लिए कार्य कर रहा है।
Code Effort Pvt. Ltd. की भविष्य की योजनाएं
आने वाले समय में स्टार्टअप की योजना ऐसे उत्पाद बनाने की है जो अधिक से अधिक उपयोगी हो जैसे मच्छर से बचाने वाली क्रीम, अधिक नरम खिलौने, अधिक नरम तकिए आदि ।
उनकी टीम एक ऐसे इको–फ्रेंडली एयर प्यूरीफायर पर काम कर रही है जो सेल्यूलोस एसीटेट फाइबर से बनी चिमनी के साथ काम कर सके। यह प्यूरीफायर वायु प्रदूषण को कम कर सका तो यह उनके स्टार्टअप द्वारा पर्यावरण को बचाने की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम होगा।
फंडिंग
नमन गुप्ता और उनके भाई के द्वारा चलाया जा रहा यह स्टार्टअप अभी निजी फंडिंग से ही चलाया जा रहा है। इसको अभी किसी प्रकार की सरकारी सहायता नहीं मिली है। लेकिन यह स्टार्टअप भारत सरकार के स्वच्छ भारत मिशन के साथ ताल से ताल मिला कर चल रहा है। Code Effort Pvt. Ltd. कोई सरकारी उपक्रम नहीं है, इसे गैर सरकारी कंपनी के रूप में ही रजिस्टर किया गया है।
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