दीपावली एक ऐसा त्योहार है जो लोगों के जीवन में रौशनी भर देता है। देश में कई जगह पर अलग अलग तरह की दीपावली मनाने के तरीके हैं पर सभी तरीकों का उद्देश्य एक होता है कि खुद के और अपने परिजनों के जीवन में सुख की रौशनी करना और दु:ख को अलविदा करना।
दीपावली त्योहार हिन्दुस्तान में बड़े जोर शोर से मनाया जाता है पर कुछ क्षण के सुख को पाने के लिए भविष्य की पीढ़ियों को प्रदूषण आदी की खाई में डालने की गलती कई बार लोगों से होती है। जिन पटाखों को बजाने से क्षणिक सुख हमें त्योहारों में मिलता है उससे भविष्य की पीढ़ियों को हम क्या पर्यावरण भेट स्वरुप देने वाले हैं? भविष्य की पीढ़ियों के रक्षण की नैतिक जिम्मेदारी उनके पूर्व की पीढ़ियों की होती है। पर दीपावली त्योहार पटाखों के अलावा मनाये तो उसका आनंद कैसा आयेगा ? इसका जवाब दिया है ‘बनाओ कंपनी‘ ने और वो भी ‘ ई-पटाखों’ के रुप में !
प्रदूषण की समस्या आज एक बड़ी समस्या का विषय हो गया है इसलिए उसे कम करने का प्रयास करना सभी की नैतिक जिम्मेदारी है। इस बात को ध्यान में रखकर कंपनी ने ई-पटाखों को बनाने की कल्पना निकाली जिनसे लोगों को पटाखे बजाने का आनंद भी मिले और प्रदूषण भी नहीं हो। पटाखों के बजाने से सिर्फ वायु प्रदूषण ही नहीं बल्कि भूमि प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग भी होते हैं। ग्लोबल वार्मिंग आज पूरे विश्व के लिए ऐसी समस्या बन चुकी है की उसका उपाय खोजने की कोशिश कई राष्ट्र साथ में मिल के कर रहे हैं। ग्लोबल वार्मिंग का सबसे बेहतर उपाय आज यही है कि उसे बढ़ने से रोकना।
पटाखों के बजाने से उसके परिणाम अन्य प्रजाति के प्राणी और पक्षी पर भी होते हैं जिसके कारण उनका जीवन खतरे में आ सकता है। इतना ही नहीं, पटाखों सें आग लगने की समस्या भी हो सकती है। अगर ई-पटाखों का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा किया जाए तो उपरोक्त सभी समस्याओं को कम करने में हम योगदान दे सकते हैं जो सभी का नैतिक कर्तव्य है। भारत की राजधानी दिल्ली में पिछले कुछ सालों से प्रदूषण की समस्या इतनी बढ़ी है कि वहाँ पे कई सारे लोगों को साँस की तकलीफ हो गई है। कुछ क्षेत्रों पर पटाखे बजाने के लिए पाबंदी लगाई जा रही है। पर इन सभी के बावजूद कुछ लोगों नें पटाखे बजाना नहीं छोडा। इस आधुनिक युग में जहाँ पर सभी डिजिटल सेवाओं का लाभ ले रहे हैं तो क्यो ना पटाखे भी ई-पटाखों के रुप में बजाए जाए…!
ई-पटाखे पर्यावरण के लिए बिल्कुल हानिकारक नहीं हैं और उससे पटाखे बजाने का आनंद भी मिलता है। ई-पटाखों में डिजिटल मायक्रो कंट्रोल युनिट का इस्तेमाल किया जाता है । पिछले साल कंपनी ने ई-पटाखों का प्राथमिक मॉडल बनाया था जिसे कई लोगों ने पसंद किया । इस साल उस मॉडल में कई सारे बदलाव किए गए हैं जिससे बजाने वाला व्यक्ति पटाखों का पूरा आनंद ले सके।
ई-पटाखें बजाने से कई सारे लाभ होते हैं जैसे कि छोटे बच्चे जो पटाखे जलाना अच्छें से नहीं जानते और आग की समस्या पैदा करते हैं उसे हम टाल सकते हैं। ई-पटाखों को बजाने से प्रदूषण की समस्या को पूरी तरह टाला जा सकता है और इतना ही नहीं, कम से कम रुपयों में हम ज्यादा समय के लिए पटाखे बजा सकतें हैं।
इस डिजिटल युग में सभी लोगों ने ज्यादा सें ज्यादा ई-पटाखे बजाने चाहिए जिससे आने वाली पीढ़ियों को अच्छा पर्यावरण हम दे सकें जिससे सही मायने में देश डिजिटल भारत हो जाएगा…!
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