2 करोड़ से ज्यादा पेड़ लगाने वाले पीपल बाबा, जिन्होंने महामारी में भी की पर्यायवरण की रक्षा

Mad4Nature By Preeti | 18 sec read

हम सभी जानते हैं कि पर्यायवरण को कैसे सुरक्षित रखा जा सकता है, लेकिन इसे हमारा आलस कहिए या लापरवाही कि हम सब कुछ जानते हुए भी अपने पर्यायवरण को सुरक्षित नहीं कर पा रहे हैं। हालांकि हमारे समाज में कई ऐसे लोग भी हैं जो पर्यायवरण को बचाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं और अपने इन ही प्रयासों के कारण सभी के लिए एक प्रेरणा बन गए हैं। इन्हीं में से एक पीपल बाबा (Peepal Baba) भी है, जो स्वामी प्रेम परिवर्तन के नाम से भी जाने जाते हैं। पीपल बाबा महज 11 साल की उम्र से पेड़ लगा रहे हैं और अब तक 2 करोड़ से ज्यादा पेड़ लगा चुके हैं।

environmentalist peepal baba
Image- Peepal Baba
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Peepal Baba ने 1997 में की थी Give Me Trees Trust की स्थापना

बिना पेड़ों के शहरों में लगातार प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। घर, कंपनी, मॉल और सड़क बनाने के लिए पेड़ तो काट दिए जाते हैं, पर उतनी ही संख्या में पेड़ लगाए नहीं जाते हैं। सिर्फ पर्यायवरण दिवस पर पेड़ लगाने से पर्यायवरण सुरक्षित नहीं होगा, इसके लिए रोज काम करना होगा जैसे Give Me Trees Trust कर रहा है। पीपल बाबा ने 11 साल की उम्र में साल 1977 में इस ट्रस्ट की स्थापना की थी। ये संस्था देशभर में पेड़ लगाने और आर्गेनिक फॉर्मिंग को बढ़ावा देने का काम करती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि महामारी के दौरान इस संस्था ने देशभर में 20 लाख से ज्यादा पेड़ लगाए।

peepal baba
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इंग्लिश टीचर ने किया था पेड़ लगाने के लिए प्रेरित

चंडीगढ़ के रहने वाले पीपल बाबा के पिता इंडियन आर्मी में डॉक्टर थे। मिलिट्री स्कूल में पढ़ाई के दौरान 11 साल की उम्र में उनकी इंग्लिश टीचर ने उन्हें पेड़ लगाने के लिए प्रेरित किया था। पुणे के हॉबी क्लब में 26 जनवरी के मौके पर साल 1977 में उन्होंने पहला पेड़ लगाया था और Give Me Trees Trust की स्थापना की थी, जो सिलसिला अब तक बरकरार है। पीपल बाबा स्कूल टाइम में जेब खर्च से पेड़ खरीदते थे और उन्हें घर जाने के रास्ते में लगाया करते थे, उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनके पिता आर्मी में थे, जिस वजह से वो कई राज्यों में रहे और इस दौरान उन्हें प्रकृति को करीब से समझने का मौका मिला।

peepal baba
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कैसे बने पीपल बाबा

पीपल बाबा ने इंग्लिश लिटरेचर और जर्नलिज्म में मास्टर की पढ़ाई की और इसके बाद कई कंपनियों में काम भी किया। इस दारौन भी वो वक्त निकालकर पेड़ लगाते रहे। 13 साल तक इंग्लिश एजुकेशन ऑफिसर की जॉब करने के बाद उन्होंने फैसला किया कि वो अपनी हॉबी को फुल-टाइम करेंगे। पीपल बाबा अपनी टीम के साथ मिलकर देश के कोने-कोने में जाकर पेड़ लगाने का काम करते हैं। एक बार वो पेड़ लगाने के लिए राजस्थान के पाली पहुंचे। जहां पानी की समस्या को देखते हुए उन्होंने गांव के लोगों को पेड़ लगाने की सलाह दी ताकि पानी के कुंए सुखना बंद हो जाए। उसी गांव के सरपंच ने उन्हें पीपल बाबा नाम दिया।

Peepal baba and his co workers
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नहीं की शादी, वैराग्य को अपनाया

पीपल बाबा ने अपनी पूरी जिंदगी प्रकृति के नाम कर दी। उन्होंने साल 1984 में ओशो रजनिश के सामने वैराग्य को अपनाया, जिन्होंने उन्हें स्वामी प्रेम परिवर्तन नाम दिया। साल 2011 में उनकी संस्था Give Me Trees Trust को Non-Government Organization (NGO) के तौर पर रजिस्ट्रर किया गया। पीपल बाबा विश्व में सबसे ज्यादा पीपल के पेड़ लगाने वाले व्यक्ति हैं। यही नहीं उन्होंने 40 लाख से ज्यादा नीम के पेड़ भी लगाए हैं।  

Peepal baba
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महामारी में भी जारी रखा काम

साल 2020 में कोरोना के कहर ने पूरी दुनिया को कुछ महीनों के लिए रोक सा दिया था। इस दौरान लोग घर से काम कर रहे थे, लेकिन पीपल बाबा ने महामारी के दौरान भी अपना काम जारी रखा। उन्होंने social sistancing का ध्यान रखते हुए अपनी टीम के साथ मिलकर देश के 18 राज्यों के 202 जिलों में 20 लाख से ज्यादा पेड़ लगाए। पेड़ लगाने के अलावा पीपल बाबा अपनी टीम के साथ मिलकर लोगों को ऑर्गेनिक खेती के लिए भी जागरुक करते हैं। जिसके लिए वो जगह-जगह जाकर वर्कशॉप करते हैं और लोगों को ऑर्गेनिक खेती के बारे में बताते हैं।

Plantation of trees
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पेड़ सिर्फ पर्यायवरण दिवस पर ना लगाएं

पर्यायवरण की एहमियत हम सभी जानते हैं, लेकिन उसे बचाने के लिए जो करना चाहिए, वो नहीं करते हैं, और इसी लापरवाही के कारण दुनियाभर में आज ग्लोबल वॉर्मिंग की समस्या बढ़ रही है। शहरों में प्रदूषण का लेवल बढ़ता जा रहा है। पर पीपल बाबा जैसे लोग अपनी ही नहीं पूरे समाज की जिम्मेदारियों को अपने कंधों पर उठाकर पर्यायरवण को सुरक्षित करने में लगे हुए हैं। यही वजह रही की महामारी के दौरान भी उन्होंने पेड़ लगाने का सिलसिला जारी रखा।

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