करीमुल हक वास्तव में एक हीरो हैं। यह सिर्फ पश्चिम बंगाल के ही नहीं पुरे भारत देश के लिए उदहारण पेश करते हैं। यह 55 वर्षीय आदमी कोई एक साधारण आदमी नहीं है, बहुत से लोगों के लिए ये किसी भगवान से काम नहीं हैं। इनके काम की वजह से इन्हे बाइक Ambulance Dada के नाम से जाना जाता है।
उन्हें इस नाम से इस लिए जाना जाता है क्योंकि ये आपात स्थिति के दौरान लोगों को अपनी बाइक पर हस्पताल ले जाते हैं। इन्होने अपनी बाइक को ही एम्बुलेंस बना दिया है। ये अब तक 5,500 से अधिक लोगों की मदद करके उन्हें अस्पतालों में पहुंचा चुके हैं। एम्बुलेंस की कमी या आभाव के कारण ये आस पास के 20 गांवों के लोगों को अपनी मोटरसाइकिल पर अस्पताल पहुंचने का काम करते हैं।
Ambulance Dada की निजी जिंदगी
1995 में करीमुल हक ने अपनी माँ को दिल का दौरा पड़ने के कारण खो दिया, जिसका मुख्या कारण उपचार की कमी था। वह अपनी बीमार माँ के लिए मदद माँगने गाँव के चारों ओर दौड़ते रहे, लेकिन वो असफल रहे। यही कारण है कि तब उन्होंने फैसला किया कि इलाज के अभाव में किसी और की मौत नहीं होनी चाइये।
उनकी Ambulance Dada बनने की असली कहानी तब शुरू होती है जब उनका एक साथी काम करते हुए अचानक कार्य क्षेत्र में बेहोश हो गया। उन्होंने अपने सहकर्मी को अपनी पीठ पर बांध लिया और अपनी मोटरसाइकिल पर अतिरिक्त गद्दी लगा दी और तुरंत अस्पताल की ओर जाने लगे। अपने सहयोगी की जान बचा कर उन्हें बहुत प्रेरणा मिली और अच्छा लगा। इसी घटना ने उन्हें अपनी सेवाओं को जारी रखने के लिए प्रेरित किया।
इस प्रकार की निस्वार्थता बहुत दुर्लभ है और लोगों के लिए आश्चर्यजनक है। आज कल के महामारी के टाइम में ऐसी मिसाल लोगों का उत्साह बढ़ाने के लिए बहुत जरूरी है। जब कुछ महीने पहले सरकार द्वारा देशव्यापी तालाबंदी लागू की गई थी, तब गांव के लोग और दूर दराज के लोगों को सबसे ज्यादा समस्या हुई थी। यही समय था जब करीमुल हक द्वारा विकसित बाइक एम्बुलेंस लोगों के लिए बहुत मददकारी साबित हुई।
चिकित्सा सुविधाओं का अभाव
गांवों में चिकित्सा सुविधाओं की कमी के कारण बाइक एम्बुलेंस गरीबों के लिए चिकित्सा उपचार के अवसरों की दिशा में एक अनिवार्य और महत्वपूर्ण कदम था। लोगों के लिए यह नया था, और इसी लिए करीमुल हक़ को निश्चित रूप से अपने गाँव के लोगों की आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। लोगों का मानना था कि यह बाइक एम्बुलेंस का तरीका अव्यावहारिक और हँसने योग्य है।
गांव के लोग अच्छी चिकित्सा सुविधा न होने के बावजूद भी, इस लोगों की जान बचाने वाले कदम का मज़ाक बनाते थे। ज्यादातर लोग खुद तो वंचित परिस्थितियों में रह रहे थे लकिन वह लोग ना तो समस्या के समाधान के लिए कुछ कदम उठाते थे और अगर करीमुल हक ने कोई कदम उठाया तो उसका मज़ाक बनाते थे। परन्तु करीमुल हक ने हार नहीं मानी और वो टिके रहे।
Ambulance Dada कहते हैं, गाँवों के अंदर संकरी गलियों और सड़कों के कारण मोटरबाइक परिवहन एक बेहतर साधन हैं। जब ग्रामीणों ने उनकी योजना को देखा, तो उन्होंने उनके सपनों पर विश्वास किया और पाया कि समाधान अव्यावहारिक नहीं था।
नीचे उनकी जीवन यात्रा के बारे में एक संक्षिप्त वीडियो देखें:
सरकार द्वारा पुरस्कृत
हक को उनकी निस्वार्थ सेवा और कार्य के लिए सरकार द्वारा पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। वह मानव जाति की भलाई के लिए अपनी सेवाओं को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कई स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया है, और उन्होंने अपनी निजी संपत्ति के हिस्से का इस्तेमाल अस्पताल के लिए भूमि निर्माण के रूप में भी किया है।
अब वह एम्बुलेंस के साथ एक खाद्य सेवा चलाते हैं और ऐसे लोगों को चावल और खाना प्रदान करते हैं जो खुद का पेट भरने में सक्षम नहीं हैं। उनके कार्य न केवल हमारे दिल तस्सली देते हैं बल्कि मानवता में हमारे विश्वास को भी बहाल करते हैं।
Ambulance Dada इस आधुनिक दुनिया में उन कुछ लोगों में से एक हैं जो मानवता को जीवित रखने का प्रयास कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि वे ऐसा करते रहें, और बाकी लोग भी उनसे प्रेरित होकर आगे आये और समाज कल्याण के लिए काम करें।
Ambulance Dada के बारे में जानने के लिए चेक करें – Instagram, Facebook, Twitter, Website.
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