पर्यावरण में बदलाव होने कें कई कारण होते हैं पर कुछ हानिकारक बदलाव ऐसे हैं जो पर्यावरण में होने के लिए सिर्फ मानव जिम्मेदार हैं। प्रदूषण की समस्या को कम करने का तरीका आज यही हो सकता हैं कि समस्या को बढ़ने से रोकना…! इसी को ध्यान में रखकर ‘बीजपर्व उपक्रम’ की शुरुआत हुई हैं।
ग्राम आर्ट प्रोजेक्ट के तहत ‘बीजपर्व उपक्रम’ की शुरुआत हुई जिसका उद्देश्य था कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को बीज पटाखे और बीज मिठाईयों का इस्तेमाल करने को राजी करे जिससे पर्यावरण का संरक्षण हो। आज प्रदूषण एक ऐसी विश्व व्यापक समस्या का कारण बन चुका हैं कि कई सारे विकसित राष्ट्र साथ में मिलकर उसका हल ढूंढने लगे हैं। दीपावली में वायु प्रदूषण और भूमि प्रदूषण होता हैं ये बात जानकार बीजपर्व उपक्रम ने पटाखों के अलावा दूसरी चीज़े बनाने की शुरुआत की हैं। पटाखों के जैसे ही दिखने वाले बीज पटाखें ये असली पटाखों से ज्यादा मजा देते हैं ऐसा उनका दावा हैं।
बीज पटाखे और बीज मिठाईयां इस बीजपर्व उपक्रम का हिस्सा हैं जिनसे पर्यावरण की कोई हानि नहीं होती । पर्यावरण को अधिक समृद्ध बनाने के लिए और किसानों को अधिक से अधिक लाभ होने के लिए बीज पटाखे और बीज मिठाईयों को बनाया गया हैं। पटाखे, मिठाईयों जैसे दिखने वाले बीज पटाखों और बीज मिठाईयों में कई पौधों के बीज डाले गए हैं। मध्यप्रदेश के चिंढवारा जिले में ग्रामीण महिला वर्ग ने हाथों से बीज पटाखों को और बीज मिठाईयों को बनाया हैं। पुरे तरीके से ‘इको-फ्रेंडली’ चीज़ो का इस्तेमाल करके इन बीज पटाखों को बनाया गया हैं।
बीज पटाखे और बीज मिठाईयों को गमलों में डालके उनका रोपन करने से अलग अलग पटाखों में से अलग-अलग पौधे आते हैं। अगर छोटा पटाखा गमलों में लगाया तो पालक या लाल-हरी मिर्च के पौधे आते हैं और अगर चक्कर पटाखा लगाया तो प्याज का पौधा आता हैं। इस तरीके से पूरी तरह पर्यावरण पूरक पटाखों को बीजपर्व उपक्रम के तहत बनाया जाता हैं।
दीपावली का उत्सव पटाखों और मिठाईयों के अलावा कुछ नहीं हैं। इसलिए बीजपर्व के तहत बीज मिठाईयों को भी बनाया जाता हैं। ‘पाम ऑईल फ्री लड्डू’ और ‘व्हीटलेस कुकीज’ बनाके उसमेें बीज को डाला जाता हैं। ऐसी कई सारी मिठाईयां बीजपर्व ने बनाई हैं जिसको बोने से कुछ ही महीनों में पौधे आएंगे। पाम ऑईल फ्री लड्डू को लगाने से बैंगन के पौधे और व्हीट कुकीज को लगाने से ओकरा या ऐमारैंथस के पौधे आएंगे । जैसे कई तरह के पटाखें बीजपर्व में बनाए गए हैं वैसे कई तरह की बीज मिठाईयां भी हैं।
बीजपर्व उपक्रम के तहत आज बाजार में ऐसे पटाखे दिख रहे हैं जिनसे पर्यावरण की हानि नहीं होती। बीजपर्व जैसे उपक्रमों से सीखकर आने वाली पीढ़ी पर्यावरण और समाज को सशक्त बना रही हैं इसमे कोई संदेह नहीं हैं।
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