आयुष जायसवाल (Ayush Jaiswal), जो अपने जीवन के शुरुआती दौर में बेचैन और विचलित स्वाभाव के थे, लेकिन आज उनकी कामयाबी आपको आश्चर्य में डाल देती है। वह सिर्फ टेक्नोलॉजी के बारे में सोचते थे और उन्हें बाहरी दुनिया से कोई मतलब नहीं होता था। आयुष वाराणसी के ऐसे शहर से हैं जहां उन्होंने सनबीम स्कूल, लहरतारा से स्कूली शिक्षा प्राप्त की और अपने शब्दों में वह हमेशा एक बेवकूफ रहे। आयुष कहते हैं कि वे बचपन से ही 3G टेक्नोलॉजी से मोहित हो गए थे। इस युवा आयुष जायसवाल ने अपनी कोशिशों के दम पर जो कामयाबी हासिल की वह वाकई में काबिल-ए-तारीफ है।
आयुष जायसवाल एक सामाजिक कार्यकर्ता होने के साथ-साथ आज एक सफल इंटरप्रेन्योर भी बन चुके हैं। एक सफल इंटरप्रेन्योर बनने के लिए उन्होंने जो काम किए आज हमारे लिए शिक्षा बन चुकी है। पर दिलचस्प बात यह है की स्कूल टाइम में उनके शिक्षकों ने उनमें कोई विशेष दिलचस्पी नहीं दिखाई। उन्हें काफी बार कक्षा के बाहर ही देखा जाता था। लेकिन ऐसे वक्त में भी उन्होंने अपना समय बर्बाद नहीं किया। उन्होंने अपने व्यक्तित्व विकास के लिए पब्लिक स्पीकिंग और कोडिंग जैसी असाधारण गतिविधियों में भाग लिया ।टेक्नोलॉजी में अधिक रूचि होने के कारण उन्होंने इंजीनियरिंग का विकल्प चुना। इसी कारण उन्होंने B.TECH के लिए KIET कॉलेज ज्वाइन किया।
स्कूली दौर में सभी प्रतियोगिताओं में भाग लेने और उसे जीतने से उन्हें अपनी कंपनी शुरू करने का विश्वास मिला। इस तरह एक व्यवसाय की यात्रा शुरू हुई – एक पेस्तो टेक (Pesto Tech) स्टार्ट अप की। यह कहानी सिर्फ एक विशिष्ट स्टार्ट अप की ही नहीं बल्कि उसकी है जो खुद का व्यवसाय शुरू करते हैं।
किसी भी इंसान के जीवन में सफलता छोटी हो या बड़ी, वह उसके लिए काफी मायने रखती है।आयुष जायसवाल की पहली असफलता दिल्ली के मिरांडा विश्वविद्यालय में काम कर रहे एक प्रोजेक्ट में हुई थी, जिससे उन्हें इतना बड़ा झटका लगा कि वह लगभग डिप्रेशन में चले गए थे।
लेकिन आयुष ने हिम्मत नहीं हारी और पूरे बल के साथ फिर से कोशिश की। इस बार वह सफल हो गए और प्रोजेक्ट का कार्य पूर्ण हुआ। आयुष के जीवन में आर्थिक समस्या भी आई। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी।
आयुष ने ब्रांडिंग, मार्केटिंग, बिज़नेस डेवलपमेंट, एनालिटिक्स जैसे कई फ़ील्ड्स में काम किया। आयुष कहते हैं कि मुझे कौशल की इतनी भूख थी कि वे 14 से 18 घंटे तक काम किया करते थे। आगे जाकर आयुष Hughes Systique के मैनेजिंग डायरेक्टर विनोद सूद से मिले, जो कि OYO रूम्स के रितेश अग्रवाल के भी गुरू हैं। उनकी बातों से प्रभावित होकर आयुष ने उन्हें अपना गुरु बना लिया। विनोद सूद ने आयुष के विचारों को केवल सुना ही नहीं बल्कि उन विचारों को एक अमूर्त रूप भी दिया। इतना ही नहीं इस क्षेत्र में उन्होंने आयुष की काफी मदद भी की ताकि वे अपने नय बिजनेस स्टार्ट अप को सही तरीके से सेटअप कर सके।
आयुष के कंपनी Pesto Tech ने मार्किट में एक गैप देखा और उसपे काम करना शुरू कर दिया। पेस्तो टेक इंडियन इंजीनियरों को रिमोट वर्क के अवसर देता है। यह कंपनी इंजीनियरों की स्किल्स पे काम करती है और उन्हें लेटेस्ट टेक्नोलॉजीज पे ट्रैन करती है, जिससे उन्हें अंतरराष्ट्रीय काम करने के अवसर मिलते है। इनकी कंपनी का दावा है की पेस्तो ग्रेजुएट्स को एवरेज 30 लाख रुपया सालाना सैलरी मिलती है। पेस्तो टेक का कोर्स ख़तम करने के बाद अगर आपकी सालाना सैलरी 10 लाख से काम लगती है तो आपको फीस के लिए एक भी पैसा नहीं देना होगा। इस कंपनी की एक और खास बात यह है की आपको शुरुवात में कोई फीस नहीं देनी है, आप कोर्स फीस सिर्फ अपनी नौकरी लगने के बाद ही देनी है। पेस्तो टेक के बारे में ज्यादा जानने के लिए आप इनकी website चेक कर सकते है – pesto.tech
आयुष जायसवाल की मेहनत और उनके आइडियाज से प्रभावित होकर, उनके एंजेल इन्वेस्टर और Swiggy कंपनी के एक फाउंडर (राहुल जैमनी) ने इनकी कंपनी ज्वाइन कर ली है। पेस्तो टेक कंपनी के पास आज वो हर चीज़ है जो किसी भी कंपनी को एक बहुत सफल बनाती है। हम उम्मीद करते है की बहुत ही जल्दी पेस्तो टेक एक यूनिकॉर्न कंपनी बनेगी और आयुष जायसवाल पूरे भारत का नाम पूरी दुनिया में रोशन करेंगे।
अतः युवाओं को भी आयुष जायसवाल जैसा अच्छा स्वभाव, अपने काम के प्रति एकाग्रता और हौसले को बुलंदियों पर रखना चाहिए । हर परिस्थिति में डटकर उस समस्या का समाधान करना चाहिए ना कि उसे पीछे हटना चाहिए। क्योंकि समस्या जब हमारे सामने उपस्थित होती है तो वह हमें एक अवसर देती हैं की हम अपने आप को दूसरों से अलग साबित कर सके ताकि लोग हमें हमेशा याद रखें। आयुष की तरह ही कामथ भाईयों की स्टोरी भी एक मिसाल है। कामथ भाईयों की स्टोरी पड़ने के लिए Click Here
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