यूपी की राजधानी लखनऊ लजीज खाने, पहनावे और हैंडी क्राफ्ट के लिए दुनियाभर में मशहूर है, इस शहर को नवाबों का शहर कहा जाता है। हालांकि वक्त के साथ इस शहर की जान हैंडीक्राफ्ट यहां से गायब होती चली गई। अब हैंडीक्राफ्ट से बनी चीजें लखनऊ में ढूंढना पहले जितना आसान नहीं रहा है। लेकिन अगर आप लखनऊ में है और हैंडीक्राफ्ट से बनी चीजें खरीदना चाहते हैं, तो Sanatkada आपके लिए बिल्कुल सही जगह है। Sanatkada में आपको लखनऊवी कल्चर की वो सारी चीजें मिलेंगी, जिसकी आपको तलाश हैं।
Sanatkada को साल 2006 में माधवी कुकरेजा ने लखनऊ में स्थापित किया था। इस संस्था को इस विजन के साथ खोला गया था कि ये लखनऊवी परंपरा को जिंदा रखेगी। साथ ही लखनऊ घूमने आने वाले लोकल और इंटरनेशनल टूरिस्ट को यहां हैंडी क्राफ्ट के साथ-साथ यूपी के कल्चर को समझने का भी मौका मिलेगा। Sanatkada में आपको हाथ से बने सूट, सिल्क की साड़ियां, बास्केट, मास्क आसानी से मिल जाएंगे।
कैसे मिला Sanatkada शुरु करने का आइडिया
Sanatkada की फाउंडर माधवी कुकरेजा कोलकत्ता की रहने वाली हैं। उन्होंने दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से हिस्ट्री में ग्रेजुएशन की है। यूपी के बुंदेलखण्ड के कारवी में माधवी एक बार रिसर्च के लिए गई थी। यहां आने के बाद वो उत्तर प्रदेश के उस कल्चर को देखने के लिए बेताब थी, जिसके लिए यूपी जाना जाता है। लेकिन पूरा शहर घूमने के बाद भी माधवी कुकरेजा को वो हैंडीक्राफ्ट नहीं मिला, जिसके बारे में उन्होंने सुना था। ऐसा इसलिए क्योंकि अब हैंडमेड की जगह आर्टिफिशियल सामान ने ली है।
माधवी कुकरेजा के अनुसार लोगों ने क्राफ्ट के इतिहास को कहीं अपने संदूक में बंद कर दिया है। हमारे कल्चर परंपराओँ के बारे में हमें लोग बताते हैं, लेकिन ये सब धीरे-धीरे खो रहा है। ऐसे में हैंडीक्राफ्ट का बिजनेस करना जितना यूनिक आइडिया लगता है, उतना ही रिस्की भी लगता है। क्योंकि इसमें मेहनत और समय काफी लगता है।
Handicraft मेकर्स के लिए नया बाजार
Sanatkada यानी क्राफ्ट का घर। ये संस्था लखनऊ के दिल कहे जाने वाले Qaiserbagh के 1950’s House में हैं। ये शहर का सबसे खूबसूरत और ऐतिहासिक जोन हैं। Sanatkada क्राफ्ट प्रदर्शनी, म्यूजिक, खाने और तहजीब याफता के लिए भी काफी मशहूर है। Sanatkada में ऐसे समूह काम करते हैं, जिन्होंने क्राफ्ट के ट्रेडिशन को जिंदा रखा है और आज इस मार्केट की मांग बन गए हैं। Sanatkada ऐसे लोगों को मौका देता है जो बड़े शहरों से अलग एक नई मार्केट की खोज में है। वो उनके काम को हैंडमेड प्रोडक्ट्स के ग्राहकों के सामने पेश करती हैं और उन्हें आगे बढ़ने में मदद करती हैं।
हर साल लगाते हैं ” Weaves and Crafts Bazaar”
Sanatkada पिछले कई सालों से अपने प्रोडक्ट को देश के अलग-अलग भागों में बेच रही है। इसके लिए वो हर साल Weaves and Crafts Bazaar का आयोजन भी करता है। जिसे Mahindra Sanatkada Festival कहा जाता है। लखनऊ में ये क्राफ्ट फेस्टिवल जनवरी के आखिरी हफ्ते से लेकर फरवरी महीने के पहले हफ्ते तक होता है। इस दौरान क्राफ्ट ग्रुप डायरेक्ट अपने प्रोडक्ट को बेच पाते हैं और ग्राहक का नजरिया जान पाते हैं।
क्राफ्ट प्रदर्शनी में हर साल स्टॉल लगाने वाले ग्रुप्स की संख्या बढ़ रही हैं, जिससे हैंडीक्राफ्ट बिजनेस को फायदा हो रहा है। ये फेस्टिवल अवध और लखनऊ में लगाया जाता है। यहां पर क्राफ्ट के साथ-साथ, आर्ट, कहानियां, साहित्य का भी आनंद ले सकते हैं। हर साल लगने ने वाले इस फेस्टिवल के कारण ही Sanatkada को अब लोग हाउस ऑफ क्राफ्ट के तौर पर जानने लगे हैं।
Sanatkada के वार्षिक फेस्टिवल को लेकर माधुरी कुकरेजा का कहना है कि उन्हें महसूस हुआ कि ट्रेडिशनल फेयर यानी की मेला जैसा कुछ होना चाहिए। जहां लोग आए और खुद को उससे कनेक्ट कर पाए। ऐसी जगह जहां लोग खाने का लुत्फ उठाते हुए कहानियां सुन सकें, परफोर्मंस का मजा ले सकें और शॉपिंग कर सकें। हर साल जब भी ये फेस्टिवल आयोजित किया जाता है तो Sanatkada की तरफ से कोई ना कोई थीम जरुर रखी जाती है, जिस पर उनके सारे हैंडी क्राफ्ट डिजाइन होते हैं। थीम के जरिए लोगों को सोशल मैसेज के साथ-साथ हैंडमेड वस्तुओँ की वैल्यू समझाई जाती हैं।
महिलाओं के लिए रोजगार
माधवी कुकरेजा को एक वुमन एक्टिविस्ट के तौर पर भी जाना जाता है, Sanatkada के जरिए भी उन्होंने कई महिलाओँ को उनके पैरों पर खड़ा होने में मदद की। माधवी ने Sanatkada को इसलिए शुरु किया ताकि भारत की अनमोल धरोहर हैंडीक्राफ्ट वक्त के साथ केवल संदूक में बंद होकर ना रह जाए। वैसे भी देखा जाए तो हैंडीक्राफ्ट भारतीय संस्कृति को हिस्सा है जिसका प्रचलन भले ही वक्त के साथ कम हो गया हो, लेकिन वो आज भी हमारे कल्चर और पपंराओँ जितना ही अहम हैं।
Sanatkada के बारे में ज्यादा जानने के लिए चेक करें – Instagram, Website, Facebook .
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