डोमिनोज पिज़्ज़ा डिलीवरी बॉय से करोड़ो के टर्नओवर का सफर (Sunil Vashisht – Flying Cakes)

Mad4Startup By Prashansa Soni | 11 sec read

दिल्ली के एक सफल बिजनेसमैन Sunil Vashisht कड़ी मेहनत और अपने अथाह प्रयास के बाद एक डिलीवरी बॉय से सफल बिजनेसमैन बनने तक का सफर तय कर चुके हैं। एक इंटरव्यू के दौरान Sunil Vashisht ने बताया कि वे सॉउथ दिल्ली के चिराग दिल्ली नामक गांव के रहने वाले हैं। सुनील एक मध्यवर्गीय परिवार से हैं। सुनील कैलाश शर्मा और राधा देवी के बेटे हैं और सुनील के दो भाई भी हैं, अजीत तथा राजीव। सुनील के पिता इलेक्ट्रॉनिक कांटे बेचने का काम करते थे। सुनील के सफल हो जाने के बाद उनकी जिंदगी सुकून से चल रही है।

Sunil Vashisht at Flying Cakes.

पार्ट टाइम जॉब से लेकर Domino’s pizza में डिलीवरी बॉय का किया काम

सुनील ने अपनी पूरी कहानी बयां की, कि किस प्रकार उन्होंने दूध बूथ पर पार्ट टाइम जॉब करने से लेकर Domino’s pizza में डिलीवरी बॉय से मैनेजर बनने तक का सफर तय किया। लेकिन इसके बाद उनकी नौकरी छूट गई और फिर उन्होंने फ्लाइंग केक्स की नींव रखी। उनके इसी प्रयास के कारण आज वो एक सफल बिजनेसमैन के तौर पर दिल्ली से बाहर दूसरे राज्य में पहुंचने तक का सफर पूरा कर पाए हैं। अचानक नौकरी छूट जाने के बाद कई लोग हिम्मत हार जाते हैं, पर सुनील ने ऐसा नहीं किया। जब वह बेरोजगार हुए तो उन्होंने अपने दिल की सुनी और अपने अनुभव और कड़ी मेहनत से डिलीवरी ब्वॉय से एक सफल बिजनेसमैन बन कर दिखाया।

Sunil Vashisht with his team.

10वीं के बाद डी एम एस ( Delhi Milk Scheme ) के बूथ पर ₹200 प्रति माह पर किया दूध के पैकेट बांटने का काम

सुनील ने एक सफल बिजनेसमैन बनने के लिए लगातार प्रयास किए। उनके जीवन में कई मुश्किलें आई पर उन्होंने कभी हार नहीं मानी। सुनील ने जब दसवीं पास की, तब उनके पिता ने उनसे कह दिया कि वे अब से अपने दम पर जीये और सफल होकर दिखाएं। तभी सुनील ने पहली बार दिल्ली के डी एम एस ( DMS) के बूथ पर ₹200 प्रति माह के हिसाब से दूध के पैकेट बांटने का पार्ट टाइम जॉब किया। Sunil Vashisht फार्म हाउस में होने वाली पार्टियों में वेटर के रूप में भी काम करते थे। यह बात वर्ष 1991 की है। इस प्रकार उन्होंने 12वीं पास की।


12वीं पास करने के बाद जब बात कॉलेज में दाखिला लेने की आई, तब वह ब्ल्यू डॉट कॉम कंपनी में कुरियर बांटने का काम किया करते थे। इस प्रकार धीरे-धीरे सुनील का मन पढ़ाई से हटता गया और द्वितीय वर्ष आते-आते अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ दी। वह जिस कुरियर कंपनी में काम करते थे, ढेड साल बाद वह भी बंद हो गई और सुनील फिर से बेरोजगार हो गए।

Sunil Vashisht with his family.

Domino’s विदेशी कंपनी के इंटरव्यू में Sunil Vashisht दो बार रहे असफल

1997 में जब सुनील बेरोजगारों की तरह भटक रहे थे तब उन्हें पता चला कि दिल्ली के ग्रेटर कैलाश इलाके में Domino’s के नाम से एक विदेशी कंपनी ने अपना आउटलेट खुला है। वहां काम करने के लिए 12वीं पास और अंग्रेजी बोलने वाले तथा ड्राइविंग लाइसेंस धारी किसी आदमी की जरूरत थी। उन्होंने वहां इंटरव्यू दिया, वे लगातार दो बार असफल भी रहे। फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और तीसरी बार में उनका चयन हो ही गया। डिलीवरी बॉय से प्रमोशन पाकर जब सुनील मैनेजर बन गए तब उन्होंने अपने काम में पूरी जी जान लगा दी। इसकी हर बारीकियों को सुनील सीखते गए और समझते गए। इसी वजह से उन्हें डोमिनोस में छह- सात बार पदोन्नति मिली। सुनील बताते हैं कि वर्ष 2003 में उनकी पत्नी को प्रसव पीड़ा हो रही थी तब उन्हें घर जाना पड़ा। इसी से नाराज होकर उनके सीनियर ने उन्हें नौकरी से इस्तीफा देने पर विवश कर दिया, तभी सुनील को ‘पैरों तले जमीन खिसकने’ के मुहावरे का अर्थ समझ में आया।

Sunil Vashisht - Founder of Flying Cakes.


इसके बाद भी सुनील ने हार नहीं मानी। जबरन इस्तीफे ने तो सुनील की सोच बदल दी। सुनील समझ गए कि लाखों रुपए की नौकरी करने के बजाए हजार रुपए का खुद का काम किया जाए। इसी सोच के साथ सुनील ने जेएनयू ( JNU) के सामने अपना फूड स्टॉल शुरू किया। कुछ समय बाद उनकी रेहड़ी अवैध जगह पर होने की वजह से हटा दी गयी। तब सुनील ने समझा कि काम वैध जगह पर होना चाहिए।

Sunil Vashisht ने नोएडा में अपनी शॉप फ्लाइंग केक्स की रखी नींव

वर्ष 2007 में सुनील ने अपने दोस्तों से पैसे उधार लेकर फ्लाइंग केक्स (Flying Cakes) की नींव रखी और Shopprix Mall, नोएडा में अपनी शॉप खोल ली। डेढ़ साल तक सुनील को निराशा ही मिली, परन्तु फिर भी उन्होंने हार मानने के बजाय एक और कोशिश करने की सोची। उन दिनों नोएडा में कई नए Call Center खुले थे, जिनके बाहर पूरी रात रौनक रहती थी। यह पर लोग अपने कर्मचारियों का बर्थडे धूमधाम से मानते थे। सुनील ने वहां जाकर अपना कार्ड बाटना शुरू किया और लोगों को जरूरत पड़ने पर केक ऑर्डर करने को कहा। कंपनी के HR ने जरूरत पड़ने पर उनकी शौप से केक मंगाया तो उन्हें उसका स्वाद काफी अच्छा लगा। उन्होंने सुनील से कहा कि वे अगर रियायती दर पर केक दे सके तो वो उनसे खरीदने को तैयार हैं।और इससे उनकी अच्छी खासी कमाई हो सकती है।

धीरे-धीरे उस कंपनी से कर्मचारी अन्य कंपनी में चले गए, लेकिन उन्हें सुनील के Flying Cakes का स्वाद बहुत अच्छा लगा था, जिस कारण सुनील का बिजनेस बढ़ता गया। कर्मचारी सुनील से ही केक मंगवाते थे। इस प्रकार वर्ष 2009 में नोएडा के सेक्टर 135 में Flying cakes ने अपनी दूसरी शॉप खोली। इस तरह सुनील ने दिल्ली से बाहर दूसरे राज्यों में पहुंचने तक का सफर भी पूरा किया। सुनील ने केक के साथ बर्गर, पिज़्ज़ा और पास्ता की भी डिलीवरी शुरू कर दी। वर्ष 2017- 2018 में फ्लाइंग केक्स (Flying Cakes) का टर्नओवर करोड़ो तक पहुंच गया। इस प्रकार सुनील ने अपनी कड़ी मेहनत से एक आम इंसान से एक सफल बिजनेसमैन तक का सफर पूरा किया।

Flying cakes by Sunil Vashisht.

फ्लाइंग केक्स के बारे में और जानने के लिए चेक करे – Facebook, Instagram.

अगर आपको सुनील वशिष्ट जी की स्टोरी पसंद आयी तो आपको कृष्णा यादव और ओम महाजन की स्टोरीज जरूर पड़नी चाइये।

इस जैसे और प्रेरणादायक लेख पढ़ने के लिए आप हमें Facebook और LinkedIn पे follow कर सकते हैं।

अगर आप किसी भी प्रेरणात्मक कहानी के बारे में जानते है, और आप चाहते है की हम उसके बारे में mad4india.com पर लिखे। ऐसे जानकारी शेयर करने के लिए आप हमें Facebook या LinkedIn पे संपर्क कर सकते है। वो प्रेरणात्मक कहानी किसी भी व्यक्ति, कंपनी, नए आईडिया या सोशल पहल के बारे में हो सकती है।

Trending Posts

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.