एक अच्छी नौकरी का सपना हर कोई देखता है, पर ऐसे बहुत कम लोग होते हैं जो अपनी अच्छी नौकरी को छोड़कर बिजनेस में हाथ आजमाते हैं। लेकिन जो रिस्क लेना जानता है, कामयाबी उसी के पैर चूमती है। जस्ट जूट के मालिक Saurav Modi इसका सबसे अच्छा उदाहरण हैं। सौरव चाहते तो नौकरी कर आराम की जिंदगी बिता सकते थे, लेकिन उन्होंने नौकरी छोड़ बिजनेस करने का फैसला किया। वो उस रास्ते पर चले, जिस रास्ते पर कामयाबी सिर्फ उम्मीद थी, लेकिन उन्होंने उस उम्मीद को हकीकत बनाया और बन गए एक कामयाब जूट कंपनी के मालिक।
डेढ़ लाख की नौकरी छोड़ शुरु किया जूट का बिजनेस
बेंगलुरु के रहने वाले Saurav Modi के पिता चाय इंडस्ट्री में थे, इनकम बहुत ज्यादा तो नहीं थी, लेकिन इतनी कमाई हो जाती थी कि घर चल जाए। सौरव ने Ernst & Young में डेढ़ साल तक नौकरी की। अच्छी सैलरी होने के बावजूद भी सौरव इस जॉब से खुश नहीं थे, वो कुछ बड़ा करना चाहते थे। शायद उनके कुछ ज्यादा करने की चाहत ने ही उन्हें जस्ट जूट को खोलने पर मजबूर किया। जस्ट् जूट कंपनी बैग, फोल्डर, बेल्ट, पर्स जैसे प्रोडक्ट बनाती है, इसके लिए ये कंपनी जूट के बने कॉर्पोरेट गिफ्ट्स के लिए भी काफी फेमस हैं। खास बात ये हैं कि जस्ट जूट के प्रोडक्ट्स भारत के अलावा यूरोपीय देशों में भी बेचे जाते हैं।
पढ़ाई के लिए अमेरिका जाना चाहते थे Saurav Modi
Saurav Modi ने क्राइस्ट कॉलेज से ग्रेजुएशन की थी और वो आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका जाना चाहते थे, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वो विदेश जा पाए। एक इंटरव्यू में सौरव ने बताया था कि उन्होंने एमबीए के लिए कैलिफ्रोनिया यूनिवर्सिटी में सीट भी रिजर्व करावा ली थी, लेकिन पर्सनल प्रॉब्लम की वजह से वो नहीं जा पाए। नौकरी में डेढ़ साल काम करने के बाद उन्हें समझ आ गया कि वो नौकरी नहीं कर सकते हैं।
सौरव ने नौकरी छोड़ने के बाद कुछ समय तक अपने पिता के काम में उनका हाथ बंटाया। उनके पिता कई चाय कंपनियों के डिस्ट्रब्यूटर थे, जिनका लिंक बैंगलोर और उसके आस-पास के शहरों में था। सौरव बैंगलोर और आस-पास के गांव में चाय ब्रांड्स के लिए मार्केटिंग का काम किया करते थे। हालांकि कुछ ही समय में सौरव को समझ आ गया कि उन्हें खुद कोई बिजनेस स्टार्ट करना चाहिए। सौरव का कहना है कि उनके पिता ने अपनी मेहनत से अपना बिजनेस खड़ा किया था, वो भी ऐसा ही कुछ करना चाहते थे।
कैसे मिला जस्ट जूट स्टार्ट करने का आइडिया
एक बार शहर में जूट का बैग ढूंढते हुए सौरव को जूट का बिजनेस करने का आइडिया आया। दरअसल सौरव के पिता किसी को जूट का बैग गिफ्ट करना चाहते थे, सौरव ने पूरे शहर में बैग ढूंढा लेकिन उन्हें कहीं ये बैग नहीं मिला। उन्हें पता चला कि उन्हें ये बैग कोलकत्ता से मंगवाना पड़ेगा। यहीं से उन्हें ख्याल आया कि उन्हें जूट का बिजनेस करना चाहिए।
महज 8 हजार से शुरु किया बिजनेस
सौरव को क्या करना है, आइडिया तो मिल गया था, लेकिन बिजनेस करने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। ऐसे में उन्होंने अपने बिजनेस के लिए अपनी मां से 8 हजार रुपये मांगे। सुनने में बहुत अजीब लगता है कि महज 8 हजार से किसी ने बिजनेस शुरु किया हो, पर ऐसा हुआ है। बैंगलुरु के विजयनगर में 100 वर्गफुट गैराज से उन्होंने अपना सफर शुरु किया। 8 हजार रुपये में से सौरव ने 1800 रुपये की सेकेंड हैंड सिलाई मशीन खरीदी और एक पार्ट टाइम दर्जी हायर कर लिया। सौरव खुद 10 किलोमीटर दूर दर्जी को उसके घर से लेने जाया करते थे। कई बार इतनी देर हो जाती थी कि दर्जी सौरव के घर पर ही सो जाते थे।
बिजनेस तो शुरु कर लिया, लेकिन कामयाबी रातों-रात नहीं मिलती है। शुरुआती दौर में सौरव को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। जहां एक तरफ उनके दोस्त अपनी कॉर्पोरेट की नौकरी के मजे ले रहे थे, वहीं सौरव को अपने बिजनेस में आए दिन किसी ना किसी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा था। एक वक्त तो ऐसा भी आया जब उनके सारे कर्मचारी हड़ताल पर चले गए, लेकिन उन्होंने हार नही मानी।
10 हजार वर्गफुट में फैला है जस्ट जूट
शुरुआत में ऑर्डर छोटे हुआ करते थे, लेकिन धीरे-धीरे जस्ट जूट पूरे बैंगलोर में फेमस होने लगा। एक बार सौरव के पिता के एक कस्टमर ने उन्हें 500 बैग का ऑर्डर दिया, ये उनकी कंपनी का पहला बड़ा ऑर्डर था। इसके बाद धीरे-धीरे उन्हें बड़े ऑर्डर मिलने लगे और कॉर्पोरेट वर्ल्ड में जस्ट् जूट फेमस हो गया। महज 100 वर्ग से शुरु हुआ सौरव का बिजनेस अब 10 हजार वर्गफुट में फैल चुका है। उनकी कंपनी में दो यूनिट में 100 कर्मचारी काम करते हैं। जस्ट जूट के प्रोड्क्ट कॉर्पोरेट वर्ल्ड में काफी पसंद किये जाते हैं। उनके बिजनेस की 70 प्रतिशत आमदनी इसी सेक्टर से आती है।
सौरव की कहानी पढ़कर हमें यह समझ आता है की कोई भी काम आसान नहीं होता है, शुरू में काफी मेहनत करनी पड़ती है। परन्तु अगर आप लगन से मेहनत करते रहोगे तो आपको सफलता जरूर मिलेगी।
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