30 साल में बना डाली 3 km लंबी नहर, बिहार का जलपुरुष – लौंगी भुइयां

By Mad4India | 1 sec read

Village Irrigation Canal. Image Source – Wikimedia

एक बार कोई बात ठानी तो उसे पूरा करने के लिए कितना भी परिश्रम करना पडे, कितना भी वक्त लगे या कितनी भी आलोचना का सामना करना पडे तो भी मेहनत से काम करने पर एक दिन फल जरुर मिलता है। पहाड़ काट़कर 50 किमी यात्रा को 15 किमी बनाने वाले दशरथ मांझी इनका नाम कई लोगों को पता है। ऐसे कई लोग अपने जीवन काल में ध्येय को साध्य करके अपने नाम इतिहास के पन्नो में दर्ज करते हैं। उन्ही लोगों में एक हैं लौंगी भुइयां…!

दशरथ मांझी की ही भूमि से आने वाले लौंगी भुइयां ने अपने गाँव की भलाई के लिए लगभग 3 दशकों तक प्रयास करके 3 किमी लंबी नहर बनाई है। जिन्हे लोग किसी जमाने में पागल कह के चिढाते थे उन्ही लौंगी भुइयां को आज समाज जलपुरुष नाम से संबोधित करता है ।

लौंगी भुइयां बिहार राज्य के कोठिलवा गाँव से आते हैं जो गया से 80 किमी दूर है । कोठिलवा गाँव की जनसंख्या 750 है और उन लोगों की जरुरत के लिए गाँव में सिर्फ एक कुआँ है। पानी की तंगी होने के कारण वहाँ के लोग खेती नहीं कर सकते। इन सभी बातों को ध्यान में रखकर समाज की भलाई के लिए लौंगी भुइयां जी ने 30 सालों पहले नहर बनाने की शुरुआत की। बंगेठा पहाड पर बारिश का जल रुक जाता था ये देखकर लौंगी जी ने पहले नहर का नक्शा बनाया और उस नक्शे की मदत से उन्होने काम करना शुरु किया।

लौंगी भुईयां जी की पत्नी रामरती देवी जी की इच्छा थी की भुइयां ये काम छोड़ के खुद के परिवार के लिए काम करें। उन्हें समझाने के लिए कई बार वो उन्हें खाना भी नहीं देती पर लौंगी भुइयां नहीं माने और नहर बनाने का काम करते रहे। लौंगी जी के चार बेटों में से तीन बेटों ने अन्य गाँव में स्थलांतर भी कर लिया था और यहां पर गाँव में लौंगी सभी की हसी का कारण बन चुके थे। कुछ गाँव के लोग उन्हे पागल और सिरफिरा भी कहते थे। पर लौंगी जी ने 30 साल की मेहनत से नहर बना ही डाली।

एक पत्रकार ने जब इनकी इस उपलब्धि के बारे में लिखा तो लौंगी भुईयां जी सबके चर्चा का विषय हो गये। इसके बाद कई सारे राजनेता लोग, समाजसेवक उनसे मिले और उनकी तारीफ की। लौंगी जी अपनी मेहनत से पानी गाँव के पास तक तो ले आये थे पर कोठिलवा गाँव का इलाका पहाड़ी होने के कारण वो पानी को गाँव के अंदर नहीं ला सकते थे । जब बिहार के जलविभाग के मंत्री संजय झा जी को इस बारे में जानकारी मिली तब उन्होनें लौंगी जी के गाँव तक पानी मिले इसके लिए कावला को बढानें का आदेश जारी किया। जिन्हें गाँव के लोग पागल पुकारते थे आज वो लोगों के लिए जलपुरुष हो गये हैं। लौंगी भुईयां जी की मेहनत से आज सिर्फ उनके कोठिलवा गाँव को ही नहीं, आस पास के 3 गाँव के 3000 लोगों को पानी मिल रहा है ।

जिस जगह पर पहले पानी की तंगी के कारण कोई खेती नहीं कर सकता था उस जगह पर आज लौंगी भुइयां जी के कारण किसान लोग खेती कर रहे हैं और भविष्य की पीढ़ी भी वो करती रहेगी। महेंद्रा कंपनी के चेयरमन आनंद महेंद्रा जी ने लौंगी भुइयां के काम से प्रभावित होकर इन्हे एक ट्रैक्टर भी भेट के स्वरुप में दिया है। लौंगी भुइयां जी ने कहाँ कि, “अगर दशरथ माँझी कर सकते हैं तो मैं क्यों नहीं? ऐसा सोच कें मैनें काम करना शुरु किया और आज उस मेहनत का लाभ सभी गाँव के लोगों को मिल रहा है जिसके वो हकदार हैं।”

फल का लालच न रखकर मेहनत और लगन से कोई काम करें तो उसका फल जरुर मिलता है ये गीतावचन लौंगी भुइयां जी का काम देख के समझ आता है। लालसा का त्याग कर के पूरे समाज के लिए काम करने वाले लोग आज कम देखने को मिलते हैं पर लौंगी भुइयां जैसे कुछ ‘जलपुरुष’ आज भी समाज में हैं जो समाज के सत्व को जीवित रखनें का काम करते हैं…!

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