Himalayas को हील करने वाले Pradeep Sangwan ने किया 5 साल में 7 हजार टन कूड़ा साफ

Mad4Nature By Ritika Bidawat | 18 sec read

भाग-दौड़ भरी जिंदगी से जब भी वक्त निकलता है, तो हम सभी सबसे पहले पहाड़ों पर जाकर समय बिताने की सोचते हैं। सर्दी हो या गर्मी हिल-स्टेशन पर पर्यटकों की भीड़ लगी ही रहती हैं, लेकिन पहाड़ों पर घूमने जाने वाले पर्यटक अक्सर वहां जाकर खुद को तो हील कर लेते हैं, लेकिन पहाड़ों को गंदा कर आते हैं।

Pradeep Sangwan
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हिमालय को हील करने वाले Pradeep Sangwan

हम लोगों की लापरवाही के कारण पहाड़ों की खूबसूरती खत्म होती जा रही है, हिमालय पर कचरे के ढेर लगते जा रहे हैं। Environmentalist trekker प्रदीप सांगवान ने जब ये देखा तो उनके दिल पर गहरी चोट लगी और उन्होंने हिमालय को हील करने का जिम्मा उठा लिया। Pradeep Sangwan को पहाड़ों पर ट्रेकिगं का शौक तो कॉलेज के दिनों से ही था, हालांकि वक्त के साथ पहाड़ों से उनकी मोहब्बत ने उन्हें इसका रक्षक भी बना दिया। प्रदीप सांगवान ने हिमालय की खूबसूरती को बचाने के लिए एक ऐसी मुहिम शुरु की, जिसमे आज लाखों लोग जुड़ गए हैं।

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साल 2016 में शुरु की “Healing Himalayas” संस्था

ट्रेकिंग के लिए जाते समय हम अपने साथ प्लास्टिक का सामान ले जाते हैं और इस्तेमाल करने के बाद सामान को पहाड़ों पर ही फेंक आते हैं, जिसे पर्यायवरण प्रदूषित होता है। प्लास्टिक का सामान पहाड़ों पर फेंकते समय हमारे मन में ये ख्याल नहीं आता कि इस प्लास्टिक को अगर किसी जंगली जानवर ने खा लिया तो उसकी जान जा सकती है या फिर इससे पर्यायवरण प्रदूषित हो सकता है। प्रदीप सांगवान ने लोगों को पर्यायवरण के प्रति जागरुक करने के लिए सही तरह से ट्रैक करने और हिमालय को बचाने के लिए साल 2016 में “Healing Himalayas” संस्था की स्थापना की।

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नौकरी छोड़, खाली हाथ हिमाचल आए थे Pradeep Sangwan

प्रदीप की पढ़ाई अजेमर के मिलिट्री स्कूल में हुई थी, सबको लगता था कि पिता की ही तरह वो भी आर्मी ही ज्वाइन करेंगे, लेकिन जिंदगी ने प्रदीप के लिए कुछ और ही चुन रखा था। कॉलेज के दिनों से ही प्रदीप को ट्रेकिंग का शौक था। कॉलेज के बाद अच्छी नौकरी भी मिल गई, लेकिन प्रदीप का मन पहाड़ों की तरह आकर्षित हो रहा था, फिर एक वक्त आया जब प्रदीप ने नौकरी छोड़ पहाड़ों पर बसने का फैसला कर लिया।

साल 2009 में प्रदीप खाली हाथ हिमाचल आए थे। उस समय वो नहीं जानते थे उन्हें क्या करना है क्या नहीं। शुरुआत के दिनों में वो मनाली में एक किराए के घर में रहा करते थे। इस दरौन उन्होंने गांव के लोगों को समझना शुरु किया। प्रदीप के अनुसार गांव के लोग ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थे, पर पर्यायवरण को कैसे सुरक्षित रखा जाता है, वो बहुत अच्छे से जानते थे। गांव के लोग ऐसे बर्तनों में खाना बनाते थे, जिसे पर्यायवरण प्रदूषित नहीं होता।

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लोगों को जागरुक करने के लिए शुरु की संस्था

मनाली में रहने के दौरान प्रदीप ने नोटिस किया कि ट्रेंकिग के लिए आने वाले ज्यादातर पर्यटकों को नहीं पता होता है कि उन्हें किस तरह ट्रैक करना है, उन्हें ट्रेकिंग पर क्या ले जाना चाहिए क्या नहीं। पर्यटकों के कारण पहाड़ों पर प्लास्टिक का कूड़ा बढ़ता जा रहा था, जिससे पहाड़ों की खूबसूरती कम हो रही थी और वो प्रदूषित हो रहे थे। पहाडों पर बढ़ते कूड़े के ढेर को देखकर प्रदीप ने तय किया कि वो हिमालय को दोबारा खूबसूरत बनाएंगे।

साल 2016 में उन्होंने “Healing Himalayas” की नींव रखी। उनकी ये संस्था पहाड़ों को साफ करने का काम करती है। इसके लिए हर महीने संस्था ट्रैक आयोजित करती हैं, जिसमें आम लोग भी हिस्सा लेते हैं और संस्था के साथ मिलकर पहाड़ों की सफाई करते हैं। पहाड़ों की सफाई के अलावा “Healing Himalayas” लोगों को पर्यायवरण के प्रति जागरुक करने और कूड़े को रि-साइकिल करने का काम भी करती हैं।


हिमालय को साफ करने में लगा दी जमा-पूंजी

संस्था शुरु करने के बाद पहला साल प्रदीप के लिए काफी मुश्किल था। उन्होंने अपनी सारी सेविंग इस संस्था पर लगा दी। एक इंटरव्यू में प्रदीप सांगवान ने बताया था कि जब वो एक बार अपनी टीम के साथ खीरगंगा की ट्रेकिंग कर रहे थे, तो उस समय उनकी पूरी टीम के पास सिर्फ इतना पैसा था कि या तो वो खाना खा सकें या फिर कूड़े को रि-साइकिल प्लांट तक पहुंचा सके। ऐसे में सभी ने फैसला किया कि वो कूड़े को प्लांट तक पहुंचाएंगे। जिस वजह से उसदिन किसी ने भी खाना नहीं खाया।

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7 हजार टन से ज्यादा कूड़ा कर चुके हैं साफ

पिछले 5 सालों में बहुत सारी कंपनियां और लोग “Healing Himalayas” के सपोर्ट में आए हैं। अब तक प्रदीप सांगवान की “Healing Himalayas” 7 हजार टन से ज्यादा कूड़ा पहाड़ों से साफ कर चुकी हैं। इस दौरान इस संस्था ने 10 हजार से ज्यादा ट्रेक भी किए हैं। प्रदीप सांगवान ट्रेकिंग करने आने वाले लोगों को प्रेरित करने के लिए “Trekking For Purpose” जैसे अभियान भी चलाते हैं, ताकि लोग ट्रैकिंग के दौरान पहाड़ों की सफाई भी करें। किसी के लिए भी अच्छी नौकरी और घर छोड़कर पहाड़ों पर बस जाना आसान नहीं होता। ऐसे में प्रदीप संगवान ने जो किया वो वाकई काबिले तारीफ हैं। उनकी हिमालय से लगाव ने एक ऐसी मुहिम की शुरुआत की जो हर किसी के लिए प्रेरणा बन गई। ऐसे में अगर हम ये कहें को वो रियल हीरो हैं तो गलत नहीं होगा।

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