इस नई चाय ने कर दिया पूरे ऑस्ट्रेलिया में फेमस Uppma Virdi को, बनी बिजनेस वुमन ऑफ द ईयर। जानिए कैसे एक भारतीय-ऑस्ट्रेलियन लड़की ने अपनी भारतीय संस्कृति को आगे बढ़ावा दिया।
चाय एक ऐसा शब्द है, जिससे अमीर-गरीब, छोटा-बड़ा, बच्चा-बूढ़ा सभी परिचित हैं। हम सभी ने अपने-अपने तरीकों से इसे बनाया और पिया है। भारत में शायद ही कोई ऐसा होगा जिसने चाय का जायका ना लिया हो। खुशी हो या गम हो, हर मौके की साथी है यह चाय। सबके दिन की शुरुवात इसकी खुशबूदार स्वाद से होती है। और इसी चाय ने बदल दी ऑस्ट्रेलिया में रहने वाली एक भारतीय लड़की की ज़िन्दगी। जी हां, हम बात कर रहे हैं उपमा विरदी की, जिनका जन्म एक भारतीय परिवार में सन् 1990 में, चंडीगढ़ शहर में हुआ था।
अपनी वकालत की पढ़ाई करने के लिए वह ऑस्ट्रेलिया चली गईं थीं। ऑस्ट्रेलिया के सुप्रीम कोर्ट में, एक लॉ फर्म के अंडर अपनी नौकरी कर रही थी। शुरू से ही उपमा को अच्छी चाय पीने का शौक था। वह अपनी मित्र मंडली को भी चाय बनाकर पिलाया करती थीं, जो कि सभी पसंद करते थे। सभी को चाय बनाकर पिलाना उनके लिए कोई मुश्किल काम नहीं था, इस को वह बहुत शौक से करती थीं। घर में रहने वालों और बाहर से आने वाले मेहमानों, सभी को वह चाय बना कर पिलाती थीं। वह बताती हैं कि उन्होंने अपने भाई की शादी के मौके पर खुद से हजारों कप चाय सारे मेहमानों के लिए बनाई थी, जिसे सभी मेहमानों ने पसंद भी किया था।
भारतीय मूल की Uppma Virdi बनी Chai Walli / Tea Lady
मेलबॉर्न जाने के बाद से ही उन्हें अच्छी चाय पीने की कमी महसूस हो रही थी, क्योंकि वहां पर चाय पीने का चलन अधिक नहीं था। वहां के लोग कॉफी पीना अधिक पसंद करते थे। पर शायद वे भी कॉफी के विकल्प की तलाश में थे। इस काम के लिए उनके मित्रों ने उन पर बहुत जोर डाला, जो समझते थे कि वह बहुत बढ़िया चाय बनाती हैं। उनके मित्र उन्हें “Tea Lady” के नाम से बुलाते थे, जिसे हिंदी में कहते हैं “चाय वाली“। जब उन्होंने खुद ही यह काम करने का सोचा तो अपने काम को उन्होंने यही नाम दे दिया ‘चाय वाली’।
पेशे से वकील उपमा ने चाय बनाने का तरीका अपने दादा से सीखा था। Uppma Virdi के दादा, डॉ प्रीतम एक होम्योपैथिक और आयुर्वेदिक डॉक्टर थे। वे विभिन्न मसालों की चाय के द्वारा अपने मरीजों को ठीक किया करते थे। उन्होंने ही उपमा को बताया था कि सर्दियों और गर्मियों में पीने वाली चाय में क्या अंतर होता है। चाय में पड़ने वाले मसालों जैसे कि इलायची, सौंफ, अदरक, दालचीनी, लॉन्ग आदि को कितनी मात्रा में किसके साथ मिलाना है। इन सब बातों का ज्ञान उपमा को अपने दादा जी से मिला था। अपने दादा से मिली इस विरासत को वह आगे बढ़ाना चाहती थी, जिससे कि भारतीय संस्कृति में रची बसी चाय से वह दुनिया को रूबरू करा सकें।
यही वह समय था जब ऑस्ट्रेलिया के लोग भी शायद कॉफी के विकल्प की तलाश में थे। यही उनके लिए उचित मौका था और उन्होंने इस मौके का फायदा उठाया। लॉ फर्म की नौकरी के साथ-साथ चाय के बिजनेस को, एक साइड बिजनेस के रूप में शुरू किया। इसके द्वारा वे भारतीय चाय बनाने के तरीके को सबके सामने लेकर आई क्योंकि भारतीय चाय जो कि आयुर्वेदिक तरीके से बनाई जाती है सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होती है। जबकि युरोप में बनने वाली चाय कोई खास फायदा नहीं करती।
नौकरी के साथ-साथ चाय का यह उनका बिजनेस चल निकला। भारतीय तरीके से बनी चाय लोगों को बहुत पसंद आने लगी। धीरे- धीरे भारतीय तरीके से बनने वाली चाय वहां बहुत फेमस हो गई और साथ ही साथ उपमा को भी लोग पहचानने लगे। 2 वर्ष के अंदर-अंदर सारा ऑस्ट्रेलिया उन्हें जानने लग गया। वे यह मानती हैं कि चाय बनाना भी एक कला है। हर कोई अपने तरीके से चाय बनाता है परंतु जरूरत है उसमें पड़ने वाले मसालों के उचित तालमेल की, वही उसे खुशबूदार और जायकेदार बनाते हैं।
चाय एक माध्यम है, जिसके द्वारा हम लोगों को एक साथ ला सकते हैं और उन्हें अपनी बात समझा सकते हैं, ऐसा वह मानती हैं। उन्होंने सोशल मीडिया का भी सहारा लिया और वर्कशॉप आयोजित की ताकि अधिक से अधिक लोग भारतीय चाय के गुणों के बारे में जानें। सोशल मीडिया के साथ ही माउथ पब्लिसिटी से भी बहुत सहायता मिली। उन्होंने बायर्स के साथ अपने रिलेशनशिप को मजबूत किया और फेसबुक, इंस्टाग्राम पर भी अपना प्रचार किया। जब इंस्टाग्राम पर पहली बार उनके 100 फॉलोवर्स हो गए तो उन्हें बहुत खुशी हुई। धीरे-धीरे बढ़ती लोकप्रियता में उन्होंने सबको पीछे छोड़ दिया।
Uppma Virdi की इसी लोकप्रियता की वजह से उन्हें
(1) सन् 2016 का “बिजनेस वुमन ऑफ द इयर” अवार्ड देकर सम्मानित किया गया, जो कि इतनी छोटी उम्र में उनके लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी।
(2) चाय के प्रति उनके पैशन की वजह से ही उन्हें ऑस्ट्रेलिया में हुए टी फेस्टिवल में विशेष रूप से बुलाया गया था, जहां उन्होंने मीडिया को भारतीय चाय बनाने के परंपरागत तरीकों से पूरी दुनिया को अवगत कराने की अपनी इच्छा के बारे में बताया।
Online Tea Store पर कई तरीके की चाय के साथ साथ, चाय बनाने का अन्य सामान भी मिलता है जैसे की kettle, pots, strainers। इसके साथ ही चाय से बनी चॉकलेट्स, कैंडल्स, सोप्स भी बहुत मशहूर हैं। Online Tea store से आज उनके तमाम products ऑस्ट्रेलिया के एक आम घर से लेकर, रेस्टोरेंट, योगा स्टूडियोज, सुपर मार्केट आदि सभी जगहों पर सप्लाई किए जाते हैं। आज वह 15 तरीके के आयुर्वेदिक ब्लेंडस और चाय प्रोवाइड कर रही हैं। उपमा सारा सामान अपनी देख रेख में भारत के ऑर्गेनिक टी फॉर्म से ही आयात करवाती हैं, ताकि भारत के किसानों को भी मदद हो सके। अब उनका सपना है कि वह ऑस्ट्रेलिया में “चाय बार” को लॉन्च करें और उसे एक ऐसी जगह बनाया जाए जहां पर ऑस्ट्रेलिया के लोग जाकर भारत की चाय संस्कृति को समझ सकें।
कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना
जी हां, यह फिल्मी गीत इस सिचुएशन में बिल्कुल सटीक है क्योंकि उनकी राहें भी कोई आसान नहीं थी। जब सन् 2014 में उन्होंने अपना चाय का बिजनेस शुरू करने का सोचा तो परिवार और मित्रों की तरफ से उसका बहुत विरोध हुआ। चाय के बिजनेस के आइडिया का विरोध किया गया कि तुम अपनी अच्छी- भली, जमी- जमाई नौकरी छोड़ कर चाय वाली बनना चाहती हो, ‘लोग क्या कहेंगे’, परंतु उन्होंने परवाह नहीं की। शुरुआत में उन्होंने अपनी जॉब नहीं छोड़ी, दिन में वह नौकरी करती और उसके बाद साइड बिजनेस। 2 वर्षो के अंदर ही काम इतना बढ़ गया कि उन्हें लॉ फर्म की नौकरी छोड देनी पड़ी। यह 21वीं सदी है दोस्तों, “लोग क्या कहेंगे” की चिंता छोड़ कर जब हम आगे बढ़ते हैं, अपने काम को काम नहीं, अपना पैशन समझकर करते हैं, तो उपमा विरदी की तरह ही आगे बढ़ते जाते हैं।
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